अपठित गद्यांश कक्षा 10 | Class 10th Unseen Passages in Hindi

अपठित गद्यांश कक्षा 10 | unseen Passages in Hindi :- यह अपठित गद्यांश कक्षा 10 वीं के स्टूडेंट्स के लिए महत्वपूर्ण है | कक्षा 10 वीं के हिंदी विषय से परीक्षा में अपठित गद्यांश पूछे जाते है | यहाँ हमने आपके लिए कुछ अपठित गद्यांश का संग्रह किया है | जिन्हें आप अपनी परीक्षा तैयारी की प्रैक्टिस के लिए उपयोग कर सकते है |

Unseen Passages in Hindi
 

अपठित गद्यांश कक्षा 10 वीं (I)

दिए गये अपठित गद्यांश को पढ़कर निचे दिए गये प्रश्नों के उत्तर दीजिये –

पेड़ इस धरती के श्रृंगार हैं। सभी पेड़ मरने से पुर्व अपनी संतान छोड़ जाने के लिए बेक़रार हैं। बीज ही गाछ-बिरछ की संतान है। बीज की सुरक्षा व सार-संभार के लिए पेड़ फूल की पंखुड़ियों से घिरा एक छोटा सा घर तैयार करता है। फूलों से आच्छादित होने पर पेड़ कितना सुदंर दिखाई देता है। जैसे फूल-फूल के बहाने वह स्वंय हँस रहा हो। सोचने में कितना सुंदर लगता है कि गाछ-विरछ तो मटमैली माटी से आहार व विषाक्त वायु से अंगारक ग्रहण करते हैं, फिर इस अपरूप उपादान से किस तरह ऐसे सुंदर फूल प्रदान करते है। ये फूल प्रकृति का मानव मात्र पर स्नेह बरसाने का साधन हैं।

उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर निम्न लिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये

प्रश्न 01. – इस गद्यांश का सटीक शीर्षक लिखिए ?

प्रश्न 02. – उपर्युक्त गद्यांश में उपयोग किये गये निम्न शब्दों के विलोम शब्द लिखिए – (i ) सुन्दर (ii) स्नेह

प्रश्न 03. – प्रकृति का मनुष्य पर स्नेह बरसाने का साधन क्या है ? बदले में वृक्ष प्रकृति से क्या लेते है ?

उपर्युक्त गद्यांश के उत्तर –
उत्तर 01. – इस गद्यांश का सटीक शीर्षक है – ‘धरती के श्रृंगार वृक्ष’


उत्तर 02. – विलोम शब्द – (i) कुरूप (ii) घृणा


उत्तर 03. – सुन्दर फुल स्नेह बरसाने का साधन है | बदले में पेड़ मिटटी से आहार और विषाक्त वायु लेते है |

अपठित गद्यांश कक्षा 10 वीं (II)

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर निचे दिए गये प्रश्नों के उत्तर दीजिये –

मानव के जीवन में आरोग्य ( बिना रोग के ) का एक अति महत्व है | एक मानव का जीवन तभी सुखी मान सकते है जब उसे कोई रोग न हो वह पूरी तरह निरोगी हो | जिस मानव को कोई रोग नही होता है वही पुरुषार्थ कर सकता है | रोगयुक्त मानव में शक्ति नही होती है | रोग मानव को शारीरिक और मानसिक रूप से शक्तिहिन कर देते है |अत: प्रत्येक मानव का मूल धर्म होता है की वह अपने शरीर को निरोगी बनाये रखें |अत: प्रत्येक मानव को अपने शरीर को निरोगी बनाये रखने के लिए प्रतिदिन प्राणायाम और व्यायाम करना चाहिए |

प्रश्न – (I) उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक लिखें |

प्रश्न – (II) मानव शरीर को निरोगी कैसे रख सकते है ?

प्रश्न – (III) उपर्युक्त गद्यांश का सारांश अपने शब्दों में लिखे |

सभी प्रश्नों के जवाब

उत्तर – (I) शीर्षक – ‘आरोग्य का महत्व’

उत्तर – (II) मानव शरीर को प्रतिदिन व्यायाम और प्राणायाम करके निरोगी रख सकते है |

उत्तर – (III) रोगयुक्त मानव शरीर शारीरिक और मानसिक रूप से शक्तिहीन हो जाता है | इसलिए मानव का मूल धर्म है की वह निरोगी रहे | निरोगी रहने के लिए मानव को प्रतिदिन व्यायाम और प्राणायाम करना चाहिए |

अपठित गद्यांश कक्षा 10 वीं (III)

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर निचे दिए गे प्रश्नों के उतर लिखे

ज्ञान राशि के संचित कोष का ही नाम साहित्य है ।प्रत्येक भाषा का अपना साहित्य होता है।जिस भाषा का अपना साहित्य नहीं होता है वह रूपवती भिखारिणी के समान कदापि आदरणीय नहीं हो सकती।भाषा की शोभा, उसकी श्रीसम्पन्नता उसके साहित्य पर ही निर्भर करती है।साहित्य में जो शक्ति छिपी रहती है वह तोप ,तलवार और बम के गोलों में भी नहीं पाई जाती ।साहित्य सर्वशक्तिमान होता है ।अतः सक्षम होकर भी जो व्यक्ति ऐसे साहित्य की सेवा और अभिवृद्धि नहीं करता वह आत्महन्ता,समाजद्रोही और देशद्रोही है। साहित्य समाज का सर्वोत्तम फल है इसका निर्माण और रसास्वादन करना हम सभी का परम दायित्व है|

प्रश्न – (क) उपयुक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए ?

प्रश्न – (ख) गद्यांश का सारांश लिखिए ?

प्रश्न – (ग) साहित्य किसे कहते हैं ?

सभी प्रश्नों के जवाब

उत्तर (क) उचित शीर्षक — साहित्य ।

उतर (ख) सारांश – वही भाषा सर्वोत्तम एवं आदर्श मानी जाती है जिसका खुद का साहित्य होता है ।तोप-तलवार तथा बम भी साहित्य की शक्ति के सामने तुच्छ हैं ।साहित्य समाज का वह सर्वोत्तम मीठा फल है जिसका रसास्वादन जीवनदायक होता है। साहित्य में समाज के लिए संजीवनी व्याप्त होती है।

उतर (ग) ज्ञानराशि के संचित कोष का नाम ही साहित्य है। साहित्य में सबका हित निहित है ।समाज को सत्साहस से भरने की सर्वश्रेष्ठ अपराध शक्ति साहित्य में होती है|

अपठित गद्यांश कक्षा 10 वीं (IV)

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर निचे लिखे गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए –

पर्यावरण प्रदूषण परमात्माकृत नहीं अपितु मानवकृत है जो उसने प्रगति के नाम पर किए गए आविष्कारों द्वारा निर्मित किया है। आज जल ,वायु सभी कुछ प्रदूषित हो चुका है । शोर, धुआँ अवांछनीय गैसों का मिश्रण एक गंभीर समस्या बन चुका है ।यह संपूर्ण मानवता के लिए एक खुली चुनौती है और एक समस्या है जो संपूर्ण मानवता के जीवन और मरण से संबंधित है इसके समक्ष मानवता बोनी बन चुकी है

प्रश्न (क) उपयुक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए

प्रश्न (ख) उपयुक्त गद्यांश का सारांश लिखिए ।

प्रश्न (ग) प्रदूषण किसके कारण निर्मित होता है ?

सभी प्रश्नों के जवाब

उत्तर (क) शीर्षक– पर्यावरण का महत्व उतर

उत्तर (ख) पर्यावरण प्रदूषण मानव की देन है। इसके फलस्वरूप मानव जाति। को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है ।इस समस्या से मुक्ति पाना मनुष्य के लिए अत्यंत दुष्कर हो गया है आज मानवता इसकी वजह से विनाश एवं जीवन मरण की कगार पर खड़ी है

उत्तर (ग). शोर ,धुआ, अवांछनीय गैसों के मिश्रण के कारण प्रदूषण निर्मित होता है इसने जल,वायु आदि सभी साधनों को दूषित कर दिया है|

अपठित गद्यांश कक्षा 10 वीं (V)

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर निचे लिखे गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए –

संस्कार ही शिक्षा है।शिक्षा इंसान को इंसान बनाती है ।आज के भौतिकवादी युग में शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य सुख पाना रह गया है ।अंग्रेजों ने इस देश में अपना शासन व्यवस्थित रूप से चलाने के लिए ऐसी शिक्षा को उपयुक्त समझा ,किंतु यह विचारधारा हमारी मान्यता के विपरीत है।आज की शिक्षा प्रणाली एकांकी है ,उसमें व्यवहारिकता का अभाव है ,श्रम के प्रति निष्ठा नहीं है ।प्राचीन शिक्षा प्रणाली में आध्यात्मिक एवं व्यवहारिक जीवन काल की प्रधानता थी ।शिक्षा केवल नौकरी के लिए नहीं ,जीवन को सही दिशा प्रदान करने के लिए थी। अतः आज के परिवेश में यह आवश्यक है कि इन दोषों को दूर किया जाए अन्यथा यह दोष सुरसा के समान हमारे सामाजिक जीवन को निकल जाएगा|

प्रश्न (क). उपयुक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए|

प्रश्न (ख). उपयुक्त गद्यांश का सारांश लिखिए ।

प्रश्न (ग) अँग्रेजी शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य क्या है ?

सभी प्रश्नों के जवाब

उतर (क) शीर्षक– शिक्षा का उद्देश्य।

उतर (ख) सारांश —श्रम के प्रति निष्ठा, नैतिक मूल्यों के प्रति आस्था तथा जीवन को व्यवहारिक बनाना ही शिक्षा का मूल उद्देश्य है।अंग्रेजी शासन काल में भौतिक सुख की प्राप्ति ही शिक्षा का उद्देश्य समझा जाने लगा| इससे शिक्षा में अनेक दोष पैदा हो गए आज इन दोषों को देखकर उसमें आध्यात्मिक एवं व्यवहारिक जीवन का समन्वय करना होगा !

उतर (ग) आज के इस भौतिकवादी युग में अंग्रेजी शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य सुख पाना भर है ।

अपठित गद्यांश कक्षा 10 वीं (VI)

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर निचे लिखे गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए –

अहिंसा भी सत्य का पूरक रूप है । अहिंसा में दूसरे के अधिकारों की, विशेषकर व्यापारियों की स्वीकृति रहती है।अहिंसा मन,वचन और कर्म तीनों से होती है।अहिंसा के पीछे “जियो और जीने दो” का सिद्धांत का कार्य करता है ।जहां अहिंसा का मान नहीं ,वहां मानवता नहीं ।अहिंसा मानवता का पयार्य है ।मनुष्य को उसके जीवन को छीनने का कोई अधिकार नहीं। जिसको वह दे नहीं सकता ।हिंसा केवल जान लेने में ही नहीं वरन दूसरों के अधिकार और स्वाभिमान को आघात पहुंचाने में भी होता है|

प्रश्न (क) उपयुक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए ।

प्रश्न (ख) अहिंसा किस सिद्धांत पर कार्य करती है ?

प्रश्न (ग) मानवता का पर्याय किसे कहा गया है ?

प्रश्न (घ) उपयुक्त गद्यांश का सारांश लिखिए ?

सभी प्रश्नों के जवाब

उत्तर ..(क) शीर्षक–अहिंसा ।

उत्तर .. (ख) अहिंसा के पीछे “जियो और जीने दो ” का सिद्धांत पर कार्य करता है

उत्तर .. (ग) मानवता का पर्याय अहिंसा को कहा गया है ।

उत्तर .. (घ) सारांश—अहिंसा सत्य का पूरक है। अहिंसा मन ,वचन और कर्म से तथा “जियो और जीने दो” के सिद्धांत पर कार्य करती है ।दूसरों के अधिकारों तथा स्वाभिमान को चोट पहुचाना.भी हिंसा है|

अपठित गद्यांश कक्षा 10 वीं (VII)

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर निचे लिखे गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए –

सफलता प्राप्ति का मूल मंत्र है— अपने समय का सदुपयोग करना । सदुपयोग का अर्थ — सही उपयोग । कार्य को समझ कर तुरंत कार्य में जग जाना । जीवन में अनेक दबाव आते हैं , अनेक व्यस्तताएँ आती हैं । व्यवस्थाओं से अधिक मन को आलस्य घेरता है ।जो व्यक्ति व्यवस्थाओं को बहाना बनाकर या आलस में गिरकर शुभ कायों को टाल देता हैं , उसकी सफलता भी टल जाती है ।इसके विपरीत जो व्यक्ति सोच समझकर योजना पूर्वक शुभ कार्यों की ओर निरंतर कदम बढ़ाता चलता है,एक ना एक दिन सफलता उसके चरण चूम लेती है ।आज के काम को कल टालने की प्रवृत्ति सबसे घातक है ।इस प्रवृत्ति के कारण मन में असंतोष बना रहता है , अनेक कामों का बोज बना रहता है और काम के कारण मन मे असन्तोष बना रहता है ।ओर काम को टालने की ऐसी आदत बन जाती है कि शुभ कार्य करने की घड़ी आती ही नहीं|

प्रश्न (क) सफलता प्राप्ति का मूल तंत्र क्या है ?

प्रश्न (ख) मनुष्य की सफलता क्यों टल जाती है ?

प्रश्न (ग) उपयुक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए ।

प्रश्न (घ) युक्त गद्यांश का सारांश लिखिए|

सभी प्रश्नों के जवाब

उत्तर –(क) सफलता प्राप्ति का मूल मंत्र है –अपने समय का सदुपयोग करना ।

उत्तर — (ख) जो व्यक्ति अवस्थाओं का बहाना बनाकर या आलस्य में घिरकर शुभ कार्य को टाल देता है ,उसकी सफलता भी टल जाती है ।

उत्तर –(ग) शीर्षक — ‘समय का सदुपयोग ‘।

उत्तर –(घ) सारांश— व्यक्ति के जीवन में समय का बहुत महत्व है ।साथ ही ,मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु और कोई नहीं उसका स्वयं का आलस्य है| यदि व्यक्ति आलस्य का त्याग कर अपने समय का सदुपयोग करता है तो अपनी सफलता सुनिश्चित है| अंग्रेजी की एक कहावत है ‘DO IT NOW ‘ की तर्ज पर हमें भी आज के काम को आज ही निबटाने का प्रयास करना चाहिए| आलस्य के वशीभूत हो कार्यों को टालने की आदत अत्यंत घातक है|

अपठित गद्यांश कक्षा 10 वीं (VIII)

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर निचे लिखे गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए –

वैदिक काल से ही हिमालय पहाड़ को बहुत पवित्र माना जाता है । इसमें कोई संदेह नहीं कि हिमालय के पहाडों का दृश्य अति सुंदर है । इसकी विशालता देखकर मन आनंद और कृतज्ञा हो जाता है ।ऐसा लगता है कि यह विशाल सृष्टि ईश्वर की देन है । सारी सृष्टि के प्रति समभाव जागृत होता है । वस्तुतः यह दृष्टि कोरी कलात्मक या आध्यात्मिक नहीं है ।भारतवर्ष में जलवायु का सामंजस्य हिमालय बैठाता है ।उत्तरी भाग को पानी देने वाला हैं यहां बद्रीनाथ ,केदारनाथ ,गंगोत्री, यमुनोत्री जैसे पवित्र तीर्थ हैं और पवित्र नदियां जो जीवन देती है ।

प्रश्न (क) गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए ।

प्रश्न (ख) किस काल से हिमालय को पवित्र माना जाता है ?

प्रश्न (ग) हिमालय को देखकर कौन सा भाव जागृत होता है

प्रश्न (घ) यहाँ कौन कौन से तीर्थ है ?

प्रश्न (डं) “कृतज्ञता ” और वैदिक से प्रत्यय अलग कीजिए ।

सभी प्रश्नों के जवाब

उतर—(क) शीर्षक–” हिमालय : एक वरदान” ।

उतर—(ख) वैदिक काल से ही हिमालय को पवित्र माना जाता है ।

उतर—(ग) हिमालय को देखकर समझ सृष्टि के प्रति समभाव जागृत होता है ।

उतर—(घ) हिमालय की गोद में हिंदुओं के सुप्रसिद्ध चार धाम हैं । बदरीनाथ , केदारनाथ, गंगोत्री , यमुनोत्री जैसे पवित्र तीर्थ स्थल है ।

उतर—(ड़) कृतज्ञता = कृतज्ञ + ता (प्रत्यय); वैदिक =वेद +इक (प्रत्यय ) ।

Title – अपठित गद्यांश कक्षा 10 | Class 10th Unseen Passages in Hindi

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