12th Class Biology Notes In Hindi – 12 वीं के जीव विज्ञान विषय में लगभग 16 से 18 चेप्टर है | प्रत्येक चेप्टर में हमें जीव विज्ञान से जुड़े अलग – अलग टॉपिक को पढना होता है | इस पोस्ट में हम कक्षा 12 वीं बायोलॉजी के सभी टॉपिक के बारे में चर्चा किये है | यदि आप भी जानना चाहते है की कक्षा 12वीं के बायोलॉजी में कौन कौन से चेप्टर है और कौन कौन से टॉपिक है तो यह पोस्ट आपके लिए महत्वपूर्ण हो सकता है |
12th Class Biology Syllabus Notes In Hindi
कक्षा 12वीं के बायोलॉजी विषय में हमें इन 16 चैप्टर को पढना होगा | प्रत्येक चेप्टर का नाम एवं उस चैप्टर के टॉपिक के नाम आप यहाँ जान पायेगे |
चैप्टर – 1. जीवों में जनन (Reproduction in Organisms)
- जीवन अवधि एवं जीवन
- जनन की विधियाँ
- अलैंगिक जनन,
- लैंगिक जनन
- अवधि की अवस्थाएँ
- अलैंगिक जनन
- विखंडन (द्विखण्डन, बहुखण्डन)
- प्लाज्मोटोमी
- मुकुलन (बहिर्जात एवं अन्तर्जात मुकुलन)
- बीजाणुजनन अथवा बीजाणु निर्माण
- संविभजन (खण्डन)
- पुनरूद॒भवन
- कायिक जनन अथवा कायिक प्रवर्धन,
- कायिक जनन के प्रकार – (प्राकृतिक कयिक जनन एवं कृत्रिम कयिक जनन – रोपण, कलिकायन, दाब लगाना, कर्तन, सूक्ष्म प्रवर्धन)
- कायिक जनन का महत्व;
- लैंगिक जनन – जीवों में लैंगिकता, लैंगिक जनन के पैटर्न
चैप्टर – 2. पुष्पी पादपों में लैंगिक जनन (Sexual Reproduction in Flowering Plants)
- लैंगिक जनन
- पुष्प संरचना एवं कार्य निषेचन पूर्ण,
- संरचनाएँ एवं घटनाएँ
- लघुबीजाणुपर्ण
- लघुबीजाणुधानी का परिवर्द्धन,
- लघुबीजाणुजनन,
- नर युग्मकोद॒भिद का विकास,
- गुरुबीजाणुपर्ण,
- बीजाण्ड या गुरुबीजाणुधानी
- बीजाण्ड का परिवर्द्धन,
- गुरुबीजाणुजनन,
- मादा युग्मकोद॒भिद या भ्रूणकोष का परिवर्द्धन
- मादा युग्मकोद॒भिद के प्रकार,
- परिपक्व भ्रूणकोष की संरचना एवं कार्य,
- बीजाण्ड के प्रकार
- परागण एवं परागण के प्रकार
- स्व – परागण, उसके प्रकार एवं महत्व,
- पर – परागण, उसके कारक एवं प्रकार तथ महत्व,
- कृत्रिम परागण
- बहि प्रजनन युक्तियाँ, पराग
- स्त्रीकेसर पारस्परिक क्रिया,
- निषेचन
- पराग नलिका का बीजाण्ड में प्रवेश,
- परागनलिका का भ्रूणकोष में प्रवेश,
- द्वि – निषेचन,
- भ्रूणपोष एवं उसके प्रकार,
- भ्रूण – द्विबीजपत्री एवं एकबीजपत्री भ्रूण का विकास,
- बीज मिर्माण,
- फल निर्माण,
- बीज और फल निर्माण का महत्व,
- जनन की कुछ विशिष्ट विधियाँ
- एपोमिक्सस (एपोमिक्सस के प्रकार एवं महत्व),
- बहुभ्रूणता,
- पार्थीनोजेनेसिस,
- पार्थीनोकार्पी
चैप्टर – 3. मानव जनन (Human Reproduction)
- नर एवं मादा जनन तंत्र (वृषण एवं अण्डाशय की सूक्ष्म आकारिकी),
- युग्मजनन
- शुक्राणुजनन,
- अण्डजनन,
- रजोधर्म का मासिक चक्र,
- निषेचन,
- मनुष्य के भ्रूणीय विकास
- प्रारम्भिक विदलक,
- कोरकपूटी निर्माण,
- भ्रूण का रोपण,
- गैस्ट्रुलेशन,
- अपरा तथा नाभिक रज्जु,
- भ्रूण के जननिक स्तरों के व्युत्पन्न,
- दुग्धस्त्रवण/ स्तनपान
चैप्टर – 4. जनन स्वास्थ्य (Reproductive Health)
- जनन स्वास्थ्य का महत्व तथा भारत में जनन स्वास्थ्य की समस्याएँ तथा सम्बंधित कार्य नीतियाँ,
- यौन संचारित रोग एवं उनकी रोकथाम,
- जन्म नियंत्रण – आवश्यकता एवं विधियाँ,
- गर्भपात तथा गर्भावस्था चिकित्सीय समापन एम्निओसेंटेसिस – प्रक्रिया, कमियाँ एवं जोखिम,
- अनुर्वरता तथा इसमें सहायता प्रदान करने वाली प्रजनन प्रौद्योगिकीयाँ
चैप्टर – 5. वंशागति और विविधता में सिद्धान्त (Principles of Inheritance and Variation)
- वंशागति एवं विविधताएँ,
- मेण्डल के कार्य,
- सफलता के कारण तथा मटर के पौधे को चुनने के कारण मेण्डल के संकरण के प्रयोग,
- मेण्डलवाद से सम्बन्धित पारिभाषित शव्दावली,
- मेण्डल के आनुवंशिकता के नियम
- प्रभाविता का नियम,
- पृथक्करण का नियम,
- स्वतंत्र अपव्हूहन का नियम,
- मेण्डलवाल के अपवाद एवं महत्व,
- मेण्डलवाद से विचलन
- अपूर्ण प्रभाविता,
- सहप्रभाविता,
- बहुऐलील एवं रक्त समूह का वंशानुक्रमण,
- घातक जीन क्रिया,
- बहुप्रभाविता,
- बहुजीनी लक्षण,
- वंशागति का गुणसूत्रीय सिद्धान्त,
- गुणसूत्र (प्रकार, संरचना एवं कार्य)
- जीन (संरचना, संकल्पना, गुण व कार्य),
- लिंग निर्धारण,
- लिंग निर्धारण के आधार,
- सहलग्नता तथा जीन विनिमय,
- लिंग सहलग्न वंशागति
- ड्रोसोफिला में लिंग सहलग्न वंशागति,
- मनुष्य में लिंग सहलग्न रोगों की वंशागति (वर्णान्धता, हिमोफिलिया),
- आनुवांशिक विकार
- मेण्डेलियन विकार (थैलेसिमिया, फीनाइल
- कीटोन्यूरिया,
- रंजकहीनता,
- एल्कैप्टोन्यूरिया,
- सिकिल सेल एनीमिया),
- गुणसूत्रीय विकार (डाउन सिन्ड्रोम,
- एडवर्ड सिन्ड्रोम,
- टरनर्स सिन्ड्रोम,
- क्लीनेफेल्टर्स सिन्ड्रोम,
- XYY सिन्ड्रोम)
चैप्टर – 6. वंशागति का आण्विक आधार (Molecular Basis of Inheritance)
- आनुवंशिक पदार्थ,
- DNA की संरचना,
- DNA का द्विकुण्डलीय मॉडल,
- DNA पैकेजिंग,
- DNA की प्रतिकृति,
- RNA की संरचना एवं प्रकार,
- आनुवंशिक कूट एवं उसकी विशेषताएँ,
- जीन अभिव्यक्ति प्रोटीन संश्लेषण
- केंद्रित सिद्धान,
- अनुलेखन एवं अनुवादन,
- जीन अभिव्यक्ति का नियमन
- प्रेरण एवं दमन,
- ओपेरॉन अवधारणा एवं लैक ओपेरॉन,
- जीनोम एवं जिनोमिकी
- मानव जीनोम परियोजना,
- चावल जीनोम परियोजना,
- DNA का अंगुलीछापन |
चैप्टर – 7. विकास (Evolution)
- ब्राह्मण्ड और हमारा सौर परिवार एवं उसकी उत्पत्ति,
- जीवन की उत्पत्ति,
- जीवन की उत्पत्ति की आधुनिक संकल्पना,
- जीवन की जैव
- रासायनिक उत्पत्ति के पक्ष में प्रायोगिक प्रमाण,
- प्रकृति का प्रारंभिक ज्ञान,
- जैव विकास
- विकास के प्रमाण (तुलनात्मक आकारिकी एवं शारीरिकी,
- तुलनात्मक कार्यिकी एवं जैव – रसायन,
- भ्रूण विज्ञान,
- जीवाश्मिकी,
- आनुवंशिकी,
- वर्गिकी एवं भौगोलिक वितरण से प्रमाण),
- विकास के सिद्धांत,
- डार्विनवाद, नव डार्विनवाद,
- जैव विकास का आधुनिक संश्लेषण सिद्धान्त,
- जीवसंख्या आनुवंशिकी एवं विकास
- जीवसंख्या में आनुवंशिक संतुलन तथा हार्डी – वीनबर्ग नियम,
- जीन प्रवाह,
- आनुवंशिक अपवाह,
- अनुकूली विकिरण या अनुकूली अपसरण,
- मानव का विकास।
चैप्टर – 8. मानव स्वास्थ्य तथा रोग (Human Health and Diseases)
- रोग कारक एवं रोग के प्रकार,
- कुछ महत्वपूर्ण मानव रोग – डेंगू , चिकनगुनिया, सामान्य जुकाम, न्यूमोनिया, टाइफॉइड, अमीबाइसिस, मलेरिया, इस्कैरियासिस एवं वर्म (कारक परजीवी तथा उसका नियंत्रण),
- प्रतिरक्षा विज्ञान
- प्रतिरक्षा तन्त्र की कोशिकाएँ तथा अंग,
- प्रतिरक्षा – सहज एवं अनुकूली प्रतिरक्षा,
- प्रतिजन एवं प्रतिरक्षी,
- टिके,
- कैंसर – प्रकार, कारण, लक्षण एवं उपचार,
- एड॒स- लक्षण,
- HIV विषाणु की संरचना, संक्रमण, एड॒स की रोकथाम एवं उपचार,
- किशोरावस्था – प्रमुख विशेषताएँ, सामान्य समस्याएँ, किशोरों में खान – पान की आदतें, मादक पदार्थो का व्यसन, ऐल्कोहॉल एवं ड्रग्स का कुप्रयोग|
चैप्टर – 9. खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति (Strategies for Enhancement in Food Production)
- पादप प्रजनन – उद्द्देश्य, प्रमुख विधियाँ, सीमाएँ तथा आधुनिक कृषि में महत्त्व,
- ऊतक संवर्धन – प्रकार, आवश्यकताएँ एवं अनुप्रयोग,
- एकल कोशिका प्रोटीन – लाभ, हानियाँ, कुछ सुक्ष्मजीवोंका संक्षिप्त वर्णन जिनका उपयोग एकल कोशिका प्रोटीन उत्पादन में होता है,
- जैव संपुष्टिकरण अथवा जैव प्रबलीकरण – क्रियाविधि, उपयोग,
- मधुमक्खी पालन,
- पशुपालन,
- कुक्कुट पालन|
चैप्टर – 10. जन कल्याण में सुक्ष्मजीव (Microbes in Human Welfare)
- घरेलु उत्पादों के उत्पादन में,
- औद्योगिकी उत्पादों के उत्पादन में,
- वाहित मल उपचार में,
- ऊर्जा (बायो गैस) उत्पादन में,
- जैव नियंत्रण कारक के रूप में तथा जैविक उर्वरकों के रूप में सूक्ष्मजीव|
चैप्टर – 11. जैवप्रौद्योगिकी – सिद्धान्त एवं प्रक्रम (Biotechnology – Principles and Processes)
- जैवप्रौद्योगिकी – इतिहास एवं सिद्धान्त,
- आनुवंशिक अभियान्त्रिकी
- पुनर्योजी DNA तकनीक,
- पॉलीमरेस श्रृंखला अभिक्रिया,
- जीन स्थानांतरण,
- पुनर्योजी क्लोनों का चयन|
चैप्टर – 12. जैवप्रौद्योगिकी एवं इसके अनुप्रयोग (Biotechnology and its Applications)
- स्वास्थ्य सुरक्षा में जैवप्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग – रोग निरोधन, निदान एवं उपचार,
- जैवप्रौद्योगिकी से प्राप्त हॉर्मोन्स एवं औषधीयाँ
- मानव वृद्धि हॉर्मोन,
- इन्सुलिन,
- इन्टरफेरॉन,
- टिका उत्पादन,
- स्टेम सेल थैरेपी,
- जीन चिकित्सा,
- कृषि क्षेत्र में जैवप्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग,
- आनुवंशिक रूपांतरित जीव – सूक्ष्मजीव, पादप तथा परजीनी जन्तु,
- जैव सुरक्षा के मुद्दे
- बायोपाइरेसी,
- बायोपेटेंट|
चैप्टर – 13. जीव एवं जिवसंख्या (Organisms and Populations)
- पारिस्थितिकी की आधुनिक अवधारणा,
- जीव तथा वातावरणीय कारक – भौतिक कारक
- जलवायुवीय कारक (जल, वायुमंडल, वायु, तापक्रम, प्रकाश, वर्षा एवं आर्द्रता)
- मृदिय कारक (मृदा निर्माण, मृदा परिच्छेदीका, मृदा संघटन, भौतिक एवं रासायनिक गुण, मृदा जल एवं मृदा वायु)
- स्थलाकृतिक कारक (समुद्र सतह से ऊँचाई, पर्वतों तथा ढलानों की दिशा एवं ढलानों की प्रवणता),
- जैविक कारक,
- आवास एवं निकेत,
- पारिस्थितिकीय अनुकूलन
- इकेड्स एवं इकोटाइप,
- पौधों में अनुकूलन की युक्तियाँ,
- जंतुओं में अनुकूलन की युक्तियाँ,
- जीवसंख्या अन्योंन्यक्रियाएँ
- सकारात्मक अन्योंन्यक्रियाएँ (अपमार्जन, आद्य – सहयोग, सहजीविता),
- नकारात्मक अन्योंन्यक्रियाएँ (स्पर्धा, परजीविता, परभक्षण, प्रतिजीविता),
- जीवसंख्या पारिस्थिकीय – जीव संख्या लक्षण (आकार एवं घनत्व, प्रकीर्णन, जन्म दर, मृत्यु – दर, वयस वितरण, जैविक विभव),
- जीवसंख्या गतिकी (‘J’ एवं ‘S’ आधार के वृद्धि प्रतिरूप),
- जीवसंख्या नियंत्रण।
चैप्टर – 14. पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem)
- पारिस्थितिक तंत्र के पैटर्न, संरचना अथवा घटक
- पारिस्थितिक तंत्र के प्रकार – प्राकृतिक एवं कृत्रिम,
- प्रमुख पारिस्थितिक तंत्र
- झील पारिस्थितिक तंत्र,
- घास के मैदान तथा वन का पारिस्थितिक तंत्र,
- मरुस्थलीय पारिस्थितिक तंत्र,
- पारिस्थितिक तंत्र के कार्य
- उत्पादकता एवं ऊर्जा प्रवाह,
- खाद्य श्रृंखला,
- खाद्य जाल,
- पोषी स्तर,
- पारिस्थितिक पिरैमिड,
- पारिस्थितिक दक्षताएँ,
- पारिस्थितिक अनुक्रमण (आरोहण) – प्रकार, कारण एवं सामान्य प्रक्रियाएँ,
- अनुक्रमण के प्रतिरूप (मरुक्रमण एवं जलक्रमण),
- पोषक पदार्थो का चक्रीकरण अथवा जैव – भूरासायनिक
- चक्र – गैसीय चक्र (कार्बन चक्र),
- अवसादी चक्र (फॉस्फोरस चक्र),
- पारिस्थितिक सेवाएँ – कार्बन स्थिरीकरण,
- परागण,
- बीज प्रकीर्णन,
- ऑक्सीजन निर्मूक्ति|
चैप्टर – 15. जैव – विविधता और संरक्षण (Biodiversity and its Conservation)
- जैव – विविधता की संकल्पना -आनुवंशिक,
- जाति एवं पारिस्थितिक विविधता,
- भारतीय जैव – विविधता,
- जैव – विविधता के प्रतिरूप,
- जैव – विविधता का महत्व,
- जैव – विविधता की हानि (हानि के कारण),
- जैव – विविधता का संरक्षण
- स्व – स्थाने संरक्षण (राष्ट्रिय उद्यान, अभयारंड, बायोस्फियर रिजर्व, पवित्र उपवन एवं रामसर स्थल),
- बहि, स्थाने संरक्षण (वानस्पतिक एवं जन्तु उद्यान, फिल्ड जीन बैंक, बीज बैंक, क्रायोबैंक एवं ऊतक संवर्धन),
- हॉट स्पॉट॒स,
- संकटापन्न (लुप्तप्राय) प्रजातियाँ,
- संकटापन्न प्रजातियों के लिए विशिष्ट परियोजनाएँ,
- विलुप्ति (विलोपन) – विलुप्ति में मानव की भूमिका,
- विलुप्ति के प्रकार एवं कारण,
- लाल आँकड़ा पुस्तक (रेड डाटा बुक)|
चैप्टर – 16. पर्यावरण सम्बन्धी मुद्दे (Environmental Issues)
- विभिन्न प्रकार के प्रदुषण,
- प्रदुषण के प्रकार,
- वायु प्रदुषण – कारण एवं नियंत्रण,
- शोर प्रदुषण – स्त्रोत, प्रभाव तथा नियन्त्रण,
- जल प्रदुषण – स्त्रोत एवं नियन्त्रण,
- कृषिरसायन और इनके प्रभाव,
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन – प्रकार, स्त्रोत,
- अपर्याप्त ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन के प्रभाव,
- ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन की विधियाँ,
- रेडियोसक्रिय अपशिष्ट प्रबन्धन
- रेडियोसक्रिय अपशिष्टों की प्रकृति एवं महत्व,
- अपशिष्ट प्रबन्धन,
- ग्रीनहाउस प्रभाव तथा भूमंडलीय तापन
- ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण तथा प्रभाव,
- ओजोन ह्मस,
- ग्रीनहाउस प्रभाव तथा भूमंडलीय तापन पर नियंत्रण,
- कार्बन डाइऑक्साइड समृद्धि एवं जलवायु परिवर्तन,
- वनविनाशन – कारण, प्रभाव तथा प्रतिकरण,
- वनीकारण,
- वन संरक्षण में लोगों की सहभागिता (प्रकरण अध्ययन) – खेजरली जनसंहार,
- चिपको आन्दोलन,
- संयुक्त वन प्रबंधन|
Final Word – तो इस पोस्ट 12th Class Biology Notes In Hindi में हमने कक्षा 12वीं के बायोलॉजी सिलेबस के नोट्स को देखा | उम्मीद करते है यह जानकारी आपके लिए काम की रही होगी | कृपया इस पोस्ट को अपने साथियों के साथ भी जरुर शेयर करें और हमारे अगले पोस्ट की अपडेट पाने के लिए हमसे सोशल मीडिया पर जुड़े |