सिन्धु घाटी सभ्यता की विशेषता क्या है

Sindhu Ghati Sabhyata – प्रतियोगिता परीक्षा में हमें सिन्धु घाटी सभ्यता से जुड़े कई प्रश्न देखने को मिल जाते है | यदि आप भी प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी में लगे है और जानना चाहते है सिन्धु घाटी सभ्यता क्या है ? और सिन्धु घाटी सभ्यता की विशेषता के बारे में तो यह पोस्ट आपके लिए काम की हो सकती है |

sindhu ghaati sabhyta ki visheshta

सिन्धु घाटी सभ्यता | Sindhu Ghati Sabhyata

सिन्धु घाटी सभ्यता नवपाषाण काल की गाव की बस्तियों से वार्तमान समय में हल्के – हल्के विकास की दोड शुरू हो गई थी | अब एक नई सभ्यता का प्रारम्भ हुआ जो भारत की प्रथम नगरीय सभ्यता है इसे हड़प्पा सभ्यता या सिन्धु घाटी सभ्यता कहते है | इसकी जांच कार्बन डेटिंग पद्दति के हिसाब से देखा जाए तो इस सभ्यता का कार्यकाल 2350 से 1750 बी.सी. बताया गया है |

सर्वप्रथम सन 1826 में चार्ल्स मेसन ने यहाँ के अवशेषों की खोज करी थी, उसी समय सन 1853 एवं 1872 में भारतीय पुरातत्व विभाग के जनक कनिघम इसका अवलोकन किया था | सन 1921 में वास्तविक रूप से इस सभ्यता की खोज दयाराम साहनी ने करी थी | कहते है की हड़प्पा होज से इसके अवशेष प्राप्त हुए इसलिए इसे हड़प्पा सभ्यता के नाम से जाना जाने लगा है |

यह सभ्यता न केवल भारत की प्राचीन सभ्यता मानी जाति है बल्की इसे विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में गिना जाता है | इसी के समयकालीन मोसोपोटामिया भी एक सभ्यता है जिसका अर्थ है दो नदियों के बिच का वह स्थान जिसमे दजला फरात थी |

यहाँ पर उत्तर से पश्चिम क्षेत्र को सुमेरियन से सम्बोधित किया गया है | इसके अतिरिक्त मिश्र की सभ्यता पर प्रकाश डाले तो इसे नील नदी की द्भ्यता की संज्ञा दी गई है | उसी प्रकार कालान्तर में माना जाता है की हम्गो नदी की सभ्यता अथार्थ चीन की सभ्यता से सम्बोधित किया गया है , जिसे चीन की सभ्यता भी कहा जाता है |

सिन्धु घाटी सभ्यता की विशेषता

सिन्धु घाटी सभ्यता की विशेषता निम्नलिखित है –

सड़क व्यवस्था

  • हड़प्पा में कच्ची एवं पक्की दोनों प्रकार की सड़के मोजूद है जो एक दूसरो को समकोण पर काटती है |
  • ऐसा माना जाता है की 13 शताब्दी के समय लन्दन तथा पेरिस में इतनी सड़के विकसित नही थी जीतनी सिन्धु घाटी सभ्यता ( हड़प्पा सभ्यता ) विकसित थी |

जल निकासी

  • यहाँ पर सबसे उचित व्यवस्था जल निकासी की है यहाँ पर प्रत्येक घर में जल दूषित जल को बाहर निकालने का मार्ग बना रखा है जिनको नालियों के रूप में बाहर निकाला जाता है तथा ये नालिय सड़क के किनारे कुछ गडडे बना रखे है वहा जाकर खुलती है |
  • सडक के किनारे बनी नालियों को कच्ची ईटो से ढका करते थे जिससे की इन नालियों को साफ करते समय आसानी से खोला जा सके |
  • यहाँ पर कई बड़े निर्माण देखे जा चुके है यहाँ पर काछी तथा पक्की दोनों किस्म की ईटे पाई जाती थी तथा इनका आकार भी 4:2:1 के अनुपात में मिला था |
  • मोहनजोदड़ो से इस सभ्यता की सबसे विशाल इमारत जिसका नाम स्नानागार था की खोज की गई थी | इसकी लम्बाई 39 फिट तथा चोड़ाई 21 फिट एवं इसकी उचाई 8 फिट थी |
  • इस इमारत में जिप्सम की जुडाई तथा विटफमिन्स का लेप देखा गया था |
  • यहाँ पर एक ताल कुआ भी मोजूद था जिसमे पानी को निकालने की व्यवस्था थी |
  • जान – मार्सल ने इसे तात्कालिक विश्व का आश्चर्य बताया था |
  • यहाँ की एक खासियत यह भी थी की यहाँ के घरो के मुख्य दरवाजे मुख्य सड़को की तरफ न खुल कर उनकी सहायक सड़को की तरफ खुलते थे |

धातु विज्ञान

  • सिन्धु घाटी सभ्यता से लोग कई प्रकार की धातुओ से भलीभाति परिचित थे सोना , चादी , टिन , ताम्बा बाहुल्यता से कासे को बनाया जाता था इसलिए इसे कास्य युगीन सभ्यता से भी जाना जाता है अर्थार्त इसे कास्य युगीन सभ्यता भी कहते है |

नापतोल

  • सिन्धु घाटी सभ्यता में नापतोल की प्रणाली को खोजा गया तथा 16 के गुणज भी यहाँ पर देखे गए है |
  • कांसा का स्केल भी सिन्धु घाटी सभ्यता से ही प्राप्त हुआ है |
  • मोहनजोदड़ो से शिप का स्केल प्राप्त हुआ है |
  • लोथल नामक जगह से हाथी के दात स्केल प्राप्त हुआ थे |

आर्थिक जीवन

  • सिन्धु घाटी सभ्यता की व्यवस्था का जो प्रमुख आधार था वहा यहाँ का व्यापार था |
  • इस सभ्यता से देशी ही नही बल्कि विदेशी व्यापार भी किया जाता था |
  • विदेशी मोहरे लोथल तथा मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुई है |
  • मेलुहा शब्द से हड़प्पा को मेसोपोटमिया में सम्भोधित किया गया है |
  • यहाँ पर लोथल बंदरगाह भी प्रमुख था जो कई वस्तुओ का आयत तथा निर्यात किया जाता था |
  • यहाँ पर कुछ स्थान इसे जहा पर यह पमुख वस्तुए प्राप्त की गयी है जैसे अफगानिस्तान से टिन , ईरान से चांदी , सीसी , कश्मीर से सिलाजीत , केसर इत्यादि |
  • यहाँ पर व्यापार का मुख्य आधार वस्तु की विनिमय प्रणाली पर निर्भर करता था मुद्रा प्रणाली का कोई आधार यहा नहीं दिखाई दिया था |
  • यहाँ पर रोलखेडी नामक जगह से मिटटी की मोहरे प्राप्त की गई जिनका आकर बेलनाकार तथा आयताकार था |
  • इन मोहरों से कई सरे पशु पक्षियों तथा मानवों के चित्र बनाये जाते थे |
  • मापतोल का आधार यह था की जहा पर बाट देखे गया थे |
  • कृषि व्यवस्था – सिन्धु घाटी सभ्यता में कृषि का मुख्य आधार वहा का विकास करना था | जहा पर कई प्रकार की फसलो को सींचा जाता था जैसे मटर , राई , जो , तरबुज , चना इत्यादि |
  • हड़प्पा के नगर वासियों को यहाँ पर कपास उगाने का श्रेय प्राप्त है |
  • यहाँ से कृषि में सिचाई करने के कोई साक्ष्य यहाँ से नहीं मिले किन्तु यहाँ से हल के साक्ष्य प्राप्त हुए है जिसक यहाँ प्रयोग किया जाता था |
  • हल से जुड़े हुए खेतो के साक्ष्य कालीबंगा नामक जगह से प्राप्त होते है |
  • हरियाणा से हल के खिलोने के साक्ष्य प्राप्त हुए है |

पशुपालन

  • सिन्धु घाटी सभ्यता में कई प्रकार के पशु – पक्षी की भी खोज की गई है |
  • कई यहाँ से मिले है जैसे बकरी की प्रजाति , भेंस की प्रजाति , कूबड़ वाले सांड की प्रजाति , बिना कूबड़ वाला बैल की प्रजाति , इत्यादि |
  • सिन्धु घाटी सभ्यता में कूबड़ वाले बैल का पूजन किया जाता है उसे यहाँ पर पूजनीय माना जाता है |
  • कालीबंगा से उट की हड्डिय भी प्राप्त हुई है |
  • यहाँ से हाथी को पाले जाने के भी साक्ष्य प्राप्त हुए है |
  • इस सभ्यता से भेंस , हिरण इत्यादि के भी साक्ष्य यहाँ से मिले है |
  • किन्तु यहाँ पर गाय तथा घोड़े के साक्ष्य नहीं मिले है |
  • सुरकोतडा गुजरात से घोड़े का एक मात्र जबड़ा मिला है |
  • इस सभ्यता में फाख्ता कबूतर को पवित्र पक्षी माना गया है |

उद्योग धंधे

  • सिन्धु घाटी सभ्यता से कई प्रकार के उद्योग धंधे की खोज की जा चुकी है जैसे वस्त्र्कारी इस उद्योग से सुति एवं ऊनी दोनों प्रकार के कपडे बानाए जाते थे |
  • यहाँ पर कई प्रक्कर के बर्तन प्राप्त हुए जिनका रंग लाल है |
  • मोहनजोदड़ो से धातुओ में सोना तांबा तथा कांसे से बनी न्रत्यक की मूर्तियों की भी खोज की जा चुकी है जो यहाँ से प्राप्त हुई है |

सामाजिक जीवन

  • सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगो का समाज था की यह सीधा सदा जीवन व्यतीत करते थे |
  • इनके घर ईटो से बने हुए थे , जिनके अन्दर किसी भी प्रकार की कोई साज – सज्जा नहीं देखी जा सकती थी |
  • इस सभ्यता से एक मिटटी की मूर्ति मिली जिसके गर्भ में से एक पोधा निकालता हुआ प्रतीत हुआ !इसलिए स्त्री को उर्वरकता की देवी की संज्ञा दी गई है |
  • एक स्त्री का चित्र बनी मोहर हड़प्पा से मिली जिसके केश खुले हुए थे |कुछ लोग इस चित्र में आस पास में धार वाले हथियार लेकर खड़े थे इससे अनुमान लगाया जा सकता है की सायद वो लोग उस स्त्री की बलि देने के लिए खड़े हो | इसका तात्पर्य यह है की स्त्री पवित्र हुआ करती थी |
  • यहाँ से कई महिलाओ की मुर्तिया मिले जिससे यह सिद्द होता है की यह जगह मदर डोमेनीयन सोसायटी थी |

आभूषण

  • सिन्धु घाटी सभ्यता में स्त्री और पुरुष दोनों को ही आभूषण अत्यधिक लुभाते थे इस काल में अनेक प्रकार के आभूषण बनाए जाते थे |
  • ये आभूषण ताम्बा , कांसा , मिटटी तथा हाथी के दातो का प्रयोग कर बनाते थे |
  • लिपस्टिक के साक्ष्य चंदहूणों से मिले है |
  • यहाँ से मटके बनाने के भी साक्ष्य प्राप्त हुए है |

खान – पान

• सिन्धु घाटी सभ्यता के लोग मांसाहारी तथा शाकाहारी दोनों प्रवातियो के थे यह के प्रत्येक घर में मछली पकड़ने का जाल मोजूद था !

वेशभूषा

  • सिन्धु घाटी सभ्यता के लोग सूती ऊनी कपडे का प्रयोग करते थे |
  • मोहनजोदड़ो से ऊनी कपड़ो के साक्ष्य नही मिलते है किन्तु लोथल से सुई के साक्ष्य मिले है |

मनोरंजन

  • सिन्धु घाटी सभ्यता में मनोराजन के लिए कई संसाधन का प्रयोग किया गया है यहाँ पासा तथा मूल्य वर्धि देखा गया है |
  • सतरंज का बोर्ड लोथल से बरामद किया गया है |
  • इस सभ्यता से न तो दास प्रथा नही सती प्रथा के साक्ष्य मिले है |
  • यहाँ पर सम्पन्नता एवं अभाव का आधार देखने को मिला है |

सावधान पद्दति

सिन्धु घाटी सभ्यता सभ्यता से तिन प्रकार की पद्द्द्तियो को देखा गया है –

  • 1. पूर्ण दहन – इस पद्दति के अंदर मानव के शरीर को अग्नी में जलाया जाता था ! तथा जो अस्तिय बच जाति थी उनको कलस में रख कर जमीन में दफ़न कर दिया जाता था जिसे कलश पद्दति कहते थे |
  • 2. पूर्ण दफ़न – इस पद्दति के अन्दर मानव शरिर को पूरी तरह से जमीन में दफ़न कर दिया जाता था |
  • 3. आंसिक दफ़न – इस पद्दति में मावन शरीर को खुले जंगल में पत्थर में रख दिया करते थे जिसके बाद जानवर आकर उसको खा जाया करते थे तथा बाद में शेष बचा हुआ भाग दफना दिया जाता था | हड़प्पा में सबसे मान्य कलश पद्दति थी इसके आलावा यहाँ से 237 तरह के कब्रस्तान खोजे गए !हड़पा से एक लड़की का भी ताबुख मिला था ! रोपड़ में मालिक के साथ कुत्ते को भी दफनाने का रिवाज था |

राजनेतिक जीवन

  • सिन्धु घाटी सभ्यता के राजनेतिक जीवन की बात करे तो यहाँ पर कोई निश्चित मत प्राप्त नहीं हुआ था यहाँ पर अलग – अलग विचार के लोग अलग – अलग मत का प्रयोग करते थे |
  • यहाँ पर पुरोहित का शासन हुआ करता था |
  • यहाँ पर मध्यम वर्गीय जनता का शासन था |
  • इस जगह पर प्रतिनिधि का शासन देखा गया | इस तरह हम कह सकते हे की यहा पर निश्चित मत पर पहुच पाना मुश्किल कार्य था की यहाँ पर किसका शासन होगा |

धार्मिक जीवन

  •  सिन्धु घाटी सभ्यता का धार्मिक जीवन सरल तथा बहुत ही सीधा पाया गया है ! यहाँ पर किसी प्रकार का कोई दिखावा नहीं चलता था |
  • इस सभ्यता में देवी और देवता दोनों की पूजा साथ की जाति थी |
  • इस जगह से मात्रदेवी की मूर्ति मिली है |
  • इस सभ्यता से महिलाओ के जननाग के कुछ साक्ष्य यहाँ से मिले है ! इसलिए यह मना जाता है की यहाँ पर देवी की पूजा होती थी |
  • हड़प्पा के लोगो को एसा कहा जाता है की यह पहले इसे लोग है जिन्होंने शिव की पूजा करी |
  • मोहनजोदड़ो से हमें पशुपतिनाथ की मोहर मिली है |
  • यहाँ से लिंग पूजा के साक्ष्य भी खोजे गए है |

वृक्ष पूजा

  • सिन्धु घाटी सभ्यता में पशु पूजा देखि है इस जगह पर श्रंगी बैल विशेष पूजनीय था ! कूबड़ वाला बैल भी पूजनीय था |
  • इस सभ्यता से ताबीज प्राप्त हुआ है जिससे पता चलता है की यहाँ पर किस प्रकार का अन्धविश्वास देखा गया जिससे अनुमान लगाया जा सकता है की शायद भुत – प्रेत पर विश्वास रखते थे |
  • सिन्धु घाटी सभ्यता में मूर्ति तो थी लेकिन इस सभ्यता से मंदिरों के निर्माण के कोई साक्ष्य नही मिले थे |

सिन्धु घाटी सभ्यता के महत्वपूर्ण तथ्य

👉 सन 1921 में सिन्धु घाटी सभ्यता ( हड़प्पा सभ्यता ) की खोज रावी नदी के तट पर दयाराम साहनी ने की थी |

👉 सन 1922 में मोहनजोदड़ो की खोज सिन्धु नदी के तट पर राखालदास बनर्जी ने की थी |

👉 पंजाब ( रोपड़ ) की खोज सतलज नदी के समीप यज्ञदत शर्मा ने की थी |

👉 कालीबंगा की खोज घघर नदी के समीप विविलाल अम्लानंद ने की थी |

👉 चंदहूणों की खोज सिन्धु नदी के समीप एन जी मजुमदार ने की थी |

Final Word – तो इस पोस्ट में हमने पढ़ा , सिन्धु घाटी सभ्यता क्या है एवं सिन्धु घाटी सभ्यता की विशेषता के बारे में उम्मीद करते है यह पोस्ट आपके लिए महत्वपूर्ण रही होगी | कृपया इस पोस्ट को अपने साथियों के साथ भी जरुर शेयर करें और हमारे अगले पोस्ट की अपडेट पाने के लिए हमसे सोशल मीडिया पर जुड़े |

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