जलाल्लुदिन खिलजी का इतिहास | Jalaluddin Khilaji

Jalaluddin Khilaji – इस पोस्ट में जलालुदीन खिलजी के बारे में पढ़ेंगे | इतिहास से सम्बंधित प्रतियोगिता परीक्षा में कई प्रश्न पूछे जाते है | इतिहास से सम्बन्धित जलालुदीन खिलजी के बारे में महत्वपूर्ण बिन्दुओं को इस पोस्ट में बताया गया है |

Jalaluddin khilji
Jalaluddin khilji

ज़लालउद्दीन खिलजी महत्वपूर्ण बिंदु

👉 ज़लालउद्दीन फिरोज खिलजी का जन्म लगभग 1230 ई. के मध्य हुआ था |

👉 ज़लालउद्दीन खिलजी का असली नाम फिरोज था |

👉 ज़लालउद्दीन फिरोज खिलजी का उदय काईकाबाद से हुआ था |

👉 ज़लालउद्दीन फिरोज खिलजी का नाम जब वह गद्दी पर नहीं बेटा था तब मलिक फिरोज था |

👉 ज़लालउद्दीन फिरोज खिलजी और इसक भाई दोनों ही दिल्ली के राजा बलबन के अंगरक्षक थे जो उनकी हिफाजत करते थे |

👉 सन 1287 में बलबन की म्रत्यु हो जाति है और ज़लालउद्दीन फिरोज खिलजी 1290 में सता हथिया लेता है! तथा अपने नियम इसने दिल्ली में लागु कर दिए |

👉 यह हिन्दुओ के लिए बड़ा क्रूर शासक भी निकला इसने कई सारे मंदिरों को भी तुड़वाया |

👉 ज़लालउद्दीन फिरोज खिलजी ने गुलाम वंश का अंत कर दिल्ली की सलतनत को जीत लिया था तथा उसने अपना राजतिलक दिल्ली में न कराकर दिल्ली के निकट स्थित “किलोखरी” नामक स्थान करवाया था |

👉 ज़लालउद्दीन फिरोज खिलजी ने जब यहाँ का शासक बन तब उसकी उम्र 70 वर्ष की थी |

👉 ज़लालउद्दीन फिरोज खिलजी एक उदारवादी शासक था जिसके खिलाफ कई सारे विद्रोह भड़कते हुए देखे गए है |

👉 शासक मालिक खज्जू ने ज़लालउद्दीन फिरोज खिलजी के खिलाफ विद्रोह की भावना दिखाई तो उसमे इसके विद्रोह को न भड़कते हुए मालिक खज्जू को केवल कढा मानिक पुर की सुबेदारी से अलग कर दिया तथा इसी प्रकार मालिक खज्जू ने कुछ अभियानो को संचालित किया तो रक्तपाल से बचे रहने के लिए सारे अभियानो का त्याग करना पड़ा तथा उसने अपने विचार रखते हुए बोला की मुझे थोड़े से क्षेत्र के लिए खून नहीं बहाना है |

👉 ज़लालउद्दीन फिरोज खिलजी धार्मिक तथा उदारवादी विचारधारा का व्यक्ति था लेकिन इसकी उदारता का इम्तिहान सूफी संत सिद्दी मौला के समक्ष देखा गया | सिद्दी मौला एक खानकाह का संचालन करते थे |

👉 ज़लालउद्दीन फिरोज खिलजी का एक जेष्ट पुत्र खानखाना भी इनका अनुयायी था परन्तु सुलतान ने कुछ अनसुनी अपवाहो के चलते सिद्दी मौला को बंदी बना कर हाथी के पैरो तले कुचलवा दिया इसके पश्चात दिल्ली को भयानक आपदा का सामना करना पड़ा था |

👉 ज़लालउद्दीन फिरोज खिलजी के समय काल में मंगोल नेता अब्दुल्ला के साथ कम से कम डेढ़ लाख सिपाहियों के साथ भारतीय क्षेत्रो पर जम कर आक्रमण किया तब खिलजी ने इसका प्रतिउत्तर भयंकर देते हुए चंगेज खा के भतीजे उलगु खा ने भारत में रहने का फेसला लिया तब ज़लालउद्दीन खिलजी ने उलंगु खां तथा उसके साथ मौजूद चार हजार साथियों को दिल्ली के समीप मुगलपुर नामक बस्ती में रहने दिया तथा नए मुसलमानों की पदवी से नवाजा और इसके बाद ज़लालउद्दीन फिरोज खिलजी ने अपनी पुत्री की शादी इसके साथ करावा दि |

👉 ज़लालउद्दीन फिरोज खिलजी के भतीजे तथा जमाई अलाउद्दीन खिलजी ने बिना अनुमति के देवगिरी पर अपना आक्रमण किया तथा रामचंद्र को हरा कर बहुत अधिक धन अर्जित् किया एवं षड्यंत्र को अंजाम देते हुए अपने एक मित्र को ज़लालउद्दीन फिरोज खिलजी के समक्ष भेजा तथा यह सन्देश सुनवाया गया की वह शर्मिंदा है की उसने आपकी अनुमति के बिना देवगिरी पर आक्रमण किया इसलिए वहा से अर्जित किये गए धन सम्पदा को आपके समक्ष जुक कर आपको अर्जित कारन चाहता है परन्तु डर के कारण आपके समक्ष उपस्थित नहीं हो पा रहा है एवं ज़लालउद्दीन फिरोज खिलजी ने उसकी बात पर विश्वास कर उससे भेट करने का निर्णय ले लिया और ज़लालउद्दीन फिरोज खिलजी के दरबारी और अंगरक्षकों ने उन्हें रोकने का बहुत कोशिश करी लेकिन उन की बात सुलतान ने नहीं मानी और ज़लालउद्दीन फिरोज खिलजी कड़ा मानिकपुर के क्षेत्र में जैसे ही पंहुचा तब अलाउद्दीन ने धोखे से ज़लालउद्दीन फिरोज खिलजी की हत्या कर दी और वह वहा का शासक बन बेटा |

👉 अलाउद्दीन खिलजी ने इसी प्रकार सन 1290 ई. में 70 वर्ष की आयु में ज़लालउद्दीन फिरोज खिलजी की हत्या कर दी तथा स्वयं दिल्ली का शासक बन बेटा |

👉 इसी प्रकार 20 वर्ष बाद धोके के कारण ही अलाउद्दीन खिलजी की भी म्रत्यु कर दी गई |

👉 अलाउद्दीन खिलजी का 20 वर्ष का शासन समय बहुत ही क्रांतिकारी रहा |

👉 अलाउद्दीन खिलजी ने अपने मन में इस बात को विचार उत्पन्न किया की उसे पैगम्बर और सिकंदर की तरह बनना है परन्तु बाद में उसने अपने इन अव्यवहारिक विचारो को त्याग दिया था और व्यवहारिक विचारो के साथ संगठन एवं आर्थिक मामलों में आने क्रांतिकारी कार्य करवाए |

इस वंश का संस्थापक ज़लालउद्दीन खिलजी था इस वंश के आरम्भ के साथ व्यवस्थाओं में कई परिवर्तन हुए जो कुछ इस प्रकार थे –

👉 खिलजी वंश की स्थापन के साथ यहाँ की नस्लवाद की प्रवति का अंत होने लगा तथा प्रशासन में वंश की जगह उनकी योग्यता को स्थान प्रदान किया जाने लगा |

👉 खिलजियो को किसी भी वर्ग में समर्थन प्राप्त नही हुआ लेकिन फिर भी खिलजियो ने शक्तिशाली शासन को चलाते हुए एक विशालतम साम्राज्य की नीव डाली |

👉 इन्होने धर्म को राजनीति से पूरी तरह अलग कर दिया था ! इसलिए इस वंश को खिलजी क्रांति की संज्ञा प्रदान की गई तथा इसे प्रो. हबीब के नाम से जाना जाने लगा |

👉 ज़लालउद्दीन फिरोज खिलजी को सबसे बुजुर्ग सुल्तान शाहिस्ता खा – कैकुबाद के नाम से भी जाना जाता है |

👉 ज़लालउद्दीन फिरोज खिलजी ने सभी तुर्क सरदारों को संतुष्ट करने की निति को अपनाया था |

👉 ज़लालउद्दीन फिरोज खिलजी ने अपने दसो और दरबारियों को भी उपाधिय प्रदान की थी |

👉 ज़लालउद्दीन फिरोज खिलजी प्रथम तुर्क शासक था जिसने कुरता की निति को त्याग के उदारता की निति को अपनाया जो दुसरे को प्रसन्न करने के लिए थी |

ज़लालउद्दीन फिरोज खिलजी के शासन काल के प्रमुख विद्रोह

1290 ई. मलिक छज्जू

  • यह बलबन का भतीजा था |
  • मलिक छज्जू ने कड़ा विद्रोह किया जिसे सुलतान ने हरा कर माफ़ कर दिया |
  • यहाँ पर इसने मुगुसुद्दीन की उपाधि धारण की तथा अपने नाम के सिक्के भी बनवाये |

मलिक ताजुद्दीन

  • मलिक ताजुद्दीन के नेतृत्व में दरबारी अमीरों ने विद्रोह किया जिसे भी दबा दिया गया और उन्हे एक वर्ष के लिए दरबार से निष्काषित कर दिया गया |

सिद्दी मौला

  • सिद्दी मौला ईरानी फ़क़ीर थे जो खानकाह चलाते थे उनको इन्होने हाथी से कुचलवा दिया क्योकि सुलतान के खिलाफ इन पर षड्यंत्र का विद्रोह साबित किया गया था |
  • ज़लालउद्दीन फिरोज खिलजी के माथे पर यह सबसे बड़ा कलंक बन गया |

मंगोल आक्रमण

प्रथम आक्रमण 1290 ई.
प्रथम आक्रमण 1290 ई. में अब्दुल्ला के नेत्रत्व में मंगोल आक्रमण हुआ परन्तु ज़लालउद्दीन फिरोज खिलजी ने इनसे समझोता किया और अब्दुला को अपना पुत्र कहा |

द्वितीय आक्रमण
द्वितीय आक्रमण उलुग खा के नेत्र्तव में 4000 मंगोलों ने इसलाम काबुल किया और दिल्ली में बस गए जिन्हें नविन मुस्लमान कहा गया |

Final Word – तो इस पोस्ट में हमने जलालुद्दीन खिलजी ( jalaluddin Khilji ) के बारे में पढ़ा | उम्मीद करते है आपको यह जानकारी पसंद आई होगी | कृपया इस जानकारी को अपने साथियों के साथ भी जरुर शेयर करें और हमारे अगले पोस्ट की अपडेट के लिए हमसे सोशल मीडिया पर जुड़े |

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